छठ पर्व, जिसे सूर्य षष्ठी या डाला छठ भी कहा जाता है, केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि श्रद्धा, समर्पण और प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम है। यह पर्व सिर्फ़ बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में रह रहे लाखों लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। इसकी महत्ता सिर्फ़ धार्मिक मान्यताओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन जीने की एक नई राह भी दिखाता है, जहां सूर्य की उपासना और प्रकृति प्रेम, कठोर व्रत और समर्पण, सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मूल्यों का समावेश होता है।
छठ पूजा की रस्में:
यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है और इसमें कई रस्में निभाई जाती हैं, जिनमें मुख्य हैं:
- नहाय-खाय: पहले दिन, व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
- खरना: दूसरे दिन, गुड़ की खीर और रोटी बनाकर सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। इसके बाद व्रती निरंजल रहते हैं।
- साँझ का अर्घ्य: तीसरे दिन शाम को, व्रती नदी या तालाब के किनारे जाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
- भोर का अर्घ्य: अंतिम दिन, सूर्योदय से पहले फिर से अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही यह कठिन व्रत समाप्त होता है।
- उपहार: व्रत समाप्त होने पर, लोग एक-दूसरे को मिठाईयाँ और उपहार देकर इस पावन पर्व की बधाई देते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
छठ पर्व पर दिल्ली के आनंद विहार में उमड़ा सैलाब
दिल्ली का आनंद विहार बस अड्डा और रेलवे स्टेशन, छठ पर्व के रंग में डूबा हुआ है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से आने वाले लाखों प्रवासी श्रद्धालुओं का सैलाब यहां उमड़ पड़ा है, जो अपने घरों को इस पावन पर्व के उपलक्ष्य में जा रहे हैं। हज़ारों की तादाद में लोग अपने परिवार के साथ, सामान और छठ पूजा की सामग्री लिए, अपने गाँव की ओर जाने वाली बसों और ट्रेनों में जगह बनाने के लिए भीड़ में ढकेले जा रहे हैं। यह दृश्य छठ महापर्व के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा और अपने घर-परिवार के साथ यह त्योहार मनाने की उनकी तीव्र इच्छा को दर्शाता है।
बस वालों ने बढ़ाया दिया किराया
छठ पर्व के मौके पर बढ़ी भीड़ का नाजायज फायदा उठाते हुए बस संचालकों ने किराए में मनमानी बढ़ोतरी कर दी है। ट्रेनों में पहले से ही कन्फर्म टिकट मिलना मुश्किल है, जिसके चलते लोगों को मजबूरन महंगे दामों पर बसों में सफ़र करना पड़ रहा है। इससे जहां एक तरफ लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ ज़रूरतमंद लोगों को अपने घरों तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
- भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन के प्रयास: पुलिस और प्रशासन द्वारा उठाये गए कदमों, जैसे अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करना, कतारें व्यवस्थित करना, हेल्पडेस्क स्थापित करना, आदि का उल्लेख करें।
- यात्रियों को हो रही परेशानियां: लंबी कतारों, टिकट की कालाबाजारी, और बढ़े हुए किरायों जैसी समस्याओं का जिक्र करें।
- कुछ यात्रियों और उनके अनुभवों के बारे में बताएँ: इससे लेख में मानवीय पहलू जुड़ेगा।
- जरूरी हेल्पलाइन नंबर और जानकारी शामिल करें: जैसे, रेलवे की हेल्पलाइन, बसों की ऑनलाइन बुकिंग जानकारी, आदि।
हालांकि, इन परेशानियों के बावजूद, श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। आस्था के इस पावन पर्व पर वे सब कुछ झेलने को तैयार हैं ताकि वे अपने घर जाकर छठ मैया का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
छठ पर्व, जो कि प्रकृति के प्रति हमारे गहरे सम्मान का प्रतीक है, लोगों को एक साथ लाता है, उनके बीच भाईचारे और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है। यह पर्व हमें त्याग, समर्पण और अटूट विश्वास का संदेश देता है।
इस अवसर पर, हम सभी को छठ मैया से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे सभी को सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें। छठ पूजा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!